जटाशंकर -कोई भी आज्ञा दुगुनी कैसे मानी जा सकती है! पूछा- दुगुनी से क्या तात्पर्य है तुम्हारा! जटाशंकर मासुमियत से बोला- मां कहती है- 4/09/2017 09:26:00 pm Read more
जटाशंकर सरकारी अफसर था। था नहीं, पर अपने आपको बहुत ज्यादा बुद्धिमान समझता था। उसके मन मस्तिष्क पर यह सुरूर छाया रहता था कि मुझ से ज्यादा चतुर व्यक्ति इस आँफिस में दूसरा नहीं है। वह पारिवारिक रिश्तेदारी के हिसाब से जल्दी ही प्रगति के पथ पर चढता हुआ अफसर बन गया था। 4/09/2017 09:25:00 pm Read more
Jatashankar.. देखा! A Grad बादाम का कमाल! खाते ही दिमाग कैसे तेज चलने लगा, तुरंत उत्तर बता दिया। जबकि बी ग्रेड खाने के बाद जो सवाल पूछा, उसका तुम उत्तर ही नहीं दे पाये। 4/09/2017 09:14:00 pm Read more
जटाशंकर का दोस्त लम्बे समय बाद शहर में आया था। व्यापार आदि के कारण वह लगभग तीन साल तक बाहर रहा था। काम इतना ज्यादा था कि अपने मित्र से दूरसंचार पर वार्तालाप भी नहीं कर पाया था। 4/09/2017 09:07:00 pm Read more