HomeIntezaar Shayariहर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह Prakash modi 1/20/2017 01:49:00 am 0 कोई मिलता ही नहीं हमसे हमारा बनकर, वो मिले भी तो एक किनारा बनकर, हर ख्वाब टूट के बिखरा काँच की तरह, बस एक इंतज़ार है साथ सहारा बनकर। Tags Intezaar Shayari Newer Older