होंठों पे उल्फत के फ़साने नहीं आते,
जो बीत गए फिर वो ज़माने नहीं आते, दोस्त ही होते हैं दोस्तों के हमदर्द, कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते। |
कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते
1/18/2017 03:26:00 am
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होंठों पे उल्फत के फ़साने नहीं आते,
जो बीत गए फिर वो ज़माने नहीं आते, दोस्त ही होते हैं दोस्तों के हमदर्द, कोई फ़रिश्ते यहाँ साथ निभाने नहीं आते। |
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