HomeHusn Shayariदुखों के काँटे में सारे समेट लेता हूँ दुखों के काँटे में सारे समेट लेता हूँ Prakash modi 1/20/2017 01:27:00 am 0 तेरे हसीन तस्सवुर का आसरा लेकर, दुखों के काँटे में सारे समेट लेता हूँ, तुम्हारा नाम ही काफी है राहत-ए-जान को, जिससे ग़मों की तेज़ हवाओं को मोड़ देता हूँ। Tags Husn Shayari Newer Older