वफ़ा रुसवा नहीं करना.. ,Hindi Poems


वफ़ा रुसवा नहीं करना
सुनो ऐसा नहीं करना

मैं पहले ही बहु अकेला हु
मुझे और तनहा नहीं करना

जुदाई भी अगर आये
दिल छोटा नहीं करना

बहु मश्रुफ हो जाना
मुझे सोचा नहीं करना

भरोसा भी जरुरी है
मगर साबका नहीं करना

मुकद्दर फिर मुकद्दर है
कभी दावा नहीं करना

जो लिखा है जरुर होगा
कभी शिकवा नहीं करना
मेरी गुजारिश तुमसे है
मुझे आधा नहीं करना

हकीकत है मिलान अपना
इसे सपना नहीं करना

हमे तुम याद रहते हो
हमे भूला नहीं करना

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