अपनी ज़िंदगी के कुछ अलग ही उसूल हैं,
दोस्ती की खातिर हमें काँटे भी क़बूल हैं,
हँस कर चल देंगे काँच के टुकड़ों पर भी,
अगर दोस्त कहे कि यह दोस्ती में बिछाये फूल हैं।
दोस्ती की खातिर हमें काँटे भी क़बूल हैं,
हँस कर चल देंगे काँच के टुकड़ों पर भी,
अगर दोस्त कहे कि यह दोस्ती में बिछाये फूल हैं।